एक दिन कम्प्यूटर के बिना
आदतें कितनी जल्दी गुलाम बना लेती हैं. हालत ये हो गई है कि अब एक दिन के लिए भी कम्प्यूटर (और इंटरनेट) बिल्कुल छोड़ देना लगभग खाना छोड़ने जैसा मुश्किल लगता है. पर मैंने कई बार ऐसा करके देखा है और पाया है कि वो दिन बड़ा बढ़िया गुजरता है. तीन मई को कुछ लोग (डेनिस बाइस्ट्रोव और आशुतोष राजेकर के आह्वान पर) फिर ऐसा करने का बहाना दे रहे है - मौका है शटडाउन दिवस का. चलिए, मेरा कम्प्यूटर तो बंद रहेगा. आप भी कहीं घूम आइए
No comments:
Post a Comment